Friday, August 21, 2020

"कुछ ऐसा करना है"

कभी - कभी मरना है,
फिर कैसे भी लड़ना है;
खुद से ही हताश हो कर,
खुद को अभिप्रेरित करना है।

कभी - कभी डरना है,
फिर ऐसा कुछ करना है;
खुद से ही निराश हो कर,
खुद को ही मनोरंजित करना है।

कभी - कभी रुकना है,
फिर पीठ पीछे मुड़ना है;
खुद को ही तलाश कर,
खुद को आनंदित करना है।

बस....ऐसा कुछ करना है।


"अपमान का विष"

"अपमान का विष समुद्र में मथा हुआ, चासनी मे लिप्त, रस से गूंथा हुआ; बोले सवार हो शीर्ष पर एकल, जितना ऊँचा हो प्रतीत पागल; उतना ही गर्त म...