Saturday, January 29, 2022

"अप्रतिमा"

"आत्मा का आवरण हो गया चूर,
जब हो गयी वो स्वयं शरीर से दूर;
मिलन की आस में परिलक्षित सा,
ऊपर वाले का वो अप्रतिम नूर।
पधारते हुए निहारा उन्हें,
पर थे वो कोसो दूर;
मिलन की आस मे परिलक्षित सा,
ऊपर वाले का अप्रतिम नूर।"



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