कभी - कभी मरना है,
फिर कैसे भी लड़ना है;
खुद से ही हताश हो कर,
खुद को अभिप्रेरित करना है।
कभी - कभी डरना है,
फिर ऐसा कुछ करना है;
खुद से ही निराश हो कर,
खुद को ही मनोरंजित करना है।
कभी - कभी रुकना है,
फिर पीठ पीछे मुड़ना है;
खुद को ही तलाश कर,
खुद को आनंदित करना है।
बस....ऐसा कुछ करना है।
No comments:
Post a Comment