"तुम हो कुमारी बन कुमार क्या करोगी,
अपने आप से रिहा क्या करोगी;
मैं ठहरा मजबूर, सबमे मशहूर,
तुम खुद में मशगूल, सबसे सुदूर।
ना होना मुझ सा मैं तो हूँ बस एक माया,
मिल जाना स्वयं से जो है तेरी असल काया;
स्वतन्त्र कैदी समान मेरा न स्वयं से वास्ता,
तुम चल पड़ना बेफिक्र सी जो है समाज से भिन्न रास्ता।"
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