"ऐसा युद्ध स्वयं के विरुद्ध,
लड़ता चलूँ बिन अवरुद्ध;
न कोई शस्त्र न कोई अस्त्र,
आत्मविश्वास विचलित,
हुयी मनोशांति ध्वस्त।
आत्म - मंथन आत्म - चिंतन,
कुछ न भाये;
सम्पूर्णता की परिभाषा जो,
चाह कर भी पूर्ण न हो पाये।
परिभाषा लिखे बिना,
अग्रसर होता हूँ मैं;
अग्रसर होकर भी खुद में,
संपूर्ण लौटा न मैं।"
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