Saturday, July 3, 2021

"है वो सर्वशक्तिमान"

"आनंदित है वो सर्वशक्तिमान,
क्यों ठहरा हैरान सा परेशान;
दुःख परिलक्षित करते सुख,
जैसे हवायें बदले अपना रुख;
हो सब संगी, साथी या घराती, 
अकेलेपन की डायन फिर भी डराती;
निकल चला वो उजालों की ओर, 
बाँध हाथों में उम्मीदों की डोर;
टूटे ना उम्मीद विश्वास है अटूट, 
जा पहुँचा उस लक्ष्य जो है अचूक;
फिर भी चाहिए जग को,
उसके होने का प्रमाण;
आनंदित है वो सर्वशक्तिमान।"




Thursday, February 25, 2021

'सम्पूर्णता'

 

"ऐसा युद्ध स्वयं के विरुद्ध,
लड़ता चलूँ बिन अवरुद्ध;
न कोई शस्त्र न कोई अस्त्र,
आत्मविश्वास विचलित,
हुयी मनोशांति ध्वस्त।
आत्म - मंथन आत्म - चिंतन,
कुछ न भाये;
सम्पूर्णता की परिभाषा जो,
चाह कर भी पूर्ण न हो पाये।
परिभाषा लिखे बिना,
अग्रसर होता हूँ मैं;
अग्रसर होकर भी खुद में,
संपूर्ण लौटा न मैं।"



"अपमान का विष"

"अपमान का विष समुद्र में मथा हुआ, चासनी मे लिप्त, रस से गूंथा हुआ; बोले सवार हो शीर्ष पर एकल, जितना ऊँचा हो प्रतीत पागल; उतना ही गर्त म...