Wednesday, September 30, 2020

"कुमार - कुमारी"

"तुम हो कुमारी बन कुमार क्या करोगी,
अपने आप से रिहा क्या करोगी;
मैं ठहरा मजबूर, सबमे मशहूर, 
तुम खुद में मशगूल, सबसे सुदूर। 
ना होना मुझ सा मैं तो हूँ बस एक माया, 
मिल जाना स्वयं से जो है तेरी असल काया;
स्वतन्त्र कैदी समान मेरा न स्वयं से वास्ता,
तुम चल पड़ना बेफिक्र सी जो है समाज से भिन्न रास्ता।"



Friday, August 21, 2020

"कुछ ऐसा करना है"

कभी - कभी मरना है,
फिर कैसे भी लड़ना है;
खुद से ही हताश हो कर,
खुद को अभिप्रेरित करना है।

कभी - कभी डरना है,
फिर ऐसा कुछ करना है;
खुद से ही निराश हो कर,
खुद को ही मनोरंजित करना है।

कभी - कभी रुकना है,
फिर पीठ पीछे मुड़ना है;
खुद को ही तलाश कर,
खुद को आनंदित करना है।

बस....ऐसा कुछ करना है।


Wednesday, June 17, 2020

लॉकडाउन

"दल का दल,
चला पैदल;
गर्भ मे लिए,
पेट का दर्द।
भूख थी शैतान,
ले रही थी जान;
दो जून न रोटी,
बस खुला आसमान।"


Saturday, March 21, 2020

"बेचैन रात्रि काल"

"सोता माथे भस्म रमाये,
कोई तो आंखो नींद दे जाये;
सकारात्मकता की परिपाटी पर,
नकारात्मकता चिल्लाये हाये - हाये।

जब आधी रात आँख खुल जाये,
अंधेरो की ओट से रोशनी झिलमिलाये;
फिर से पूँछु ओ बैरी निंदिया,
तू काहे न पलकें झपकाये।

भीनी सी शांति मन को सुहाये,
जब निशा उसे निलंबित कर जाये;
ध्यान मग्न हो स्वप्न लोक सुहाये,
तो कैसे न निंदिया भागी चले आये।"


"अपमान का विष"

"अपमान का विष समुद्र में मथा हुआ, चासनी मे लिप्त, रस से गूंथा हुआ; बोले सवार हो शीर्ष पर एकल, जितना ऊँचा हो प्रतीत पागल; उतना ही गर्त म...