"खामोश होने जा रही एक और सांसें,
जो आयी थी बहुत से उफान लेकर।
द्वन्द की कसौटी पर खरा न उतर सका,
जाने वाला है वो कई अरमान देकर।
जो आयी थी बहुत से उफान लेकर।
द्वन्द की कसौटी पर खरा न उतर सका,
जाने वाला है वो कई अरमान देकर।
सकारात्मकता का चोला ओढ़ आया था जो खुश करने सबको,
अब जाने वाला है वो कुछ को दुख देकर।
मैत्रीपूर्ण भावनाओं के भंवर में फंसा,
जिसने गर्व को ठुकराया था जिल्लत लेकर।
सफल भाईचारे का जो था प्रतीक बना,
अब वो खोने वाला एक उम्मीद जगाकर।
नकली चाहतो की इस दुनिया में बहुतो ने,
असली को ही मार दिया पानी में डुबोकर।
अब जाने वाला है वो कुछ को दुख देकर।
मैत्रीपूर्ण भावनाओं के भंवर में फंसा,
जिसने गर्व को ठुकराया था जिल्लत लेकर।
सफल भाईचारे का जो था प्रतीक बना,
अब वो खोने वाला एक उम्मीद जगाकर।
नकली चाहतो की इस दुनिया में बहुतो ने,
असली को ही मार दिया पानी में डुबोकर।
खामोश होने जा रही एक और सांसें,
जो आयी थी बहुत से उफान लेकर।
जो आयी थी बहुत से उफान लेकर।
दोहरा व्यक्तित्व साधन बना है स्वार्थ की प्यास बुझाने का ,
हश्र उनका बुरा होगा एक दिन चलना सोच समझकर।
हर कोई तलाश रहा सुख सिर्फ पाने के लिए
देने को तैयार नही कोई स्नेह किसी को अपनाकर।
प्रसिद्धि प्राप्ति की लालसा में का क्या कहें,
अच्छे लोग भी मौन बैठे हैं बुत बनकर।
हश्र उनका बुरा होगा एक दिन चलना सोच समझकर।
हर कोई तलाश रहा सुख सिर्फ पाने के लिए
देने को तैयार नही कोई स्नेह किसी को अपनाकर।
प्रसिद्धि प्राप्ति की लालसा में का क्या कहें,
अच्छे लोग भी मौन बैठे हैं बुत बनकर।
मैली प्रतिस्पर्धा कर कहानी लिखने वाले कहानीकारों,
कहानी स्वयं खत्म करेगी उनकी कहानी उन्हें नकारकर।
कोई अहंकारी कोई स्वार्थी बने हुए हैं कुछ यहाँ,
कुछ कोमल मन ने रोक रखा उसे बाहें फैलाकर।
लेकिन अब पूरा होने वाला है उसका सफर,
जब निकल जायेगा वो ये दुनिया छोड़कर।
कहानी स्वयं खत्म करेगी उनकी कहानी उन्हें नकारकर।
कोई अहंकारी कोई स्वार्थी बने हुए हैं कुछ यहाँ,
कुछ कोमल मन ने रोक रखा उसे बाहें फैलाकर।
लेकिन अब पूरा होने वाला है उसका सफर,
जब निकल जायेगा वो ये दुनिया छोड़कर।
खामोश होने जा रही एक और सांसें,
जो आयी थी बहुत से उफान लेकर।
द्वन्द की कसौटी पर खरा न उतर सका,
जाने वाला है वो कई अरमान देकर।”
जो आयी थी बहुत से उफान लेकर।
द्वन्द की कसौटी पर खरा न उतर सका,
जाने वाला है वो कई अरमान देकर।”