स्याही का क्या है, वो बस कागज रंगती है.... कहनी बयां होती हैं तब, जब आंसू संग पलकें झपकती हैं।...(1)
नया वर्ष, नया दिन, नया समय... कुछ नया अहसास सा है फिजाओं में,
ये साल नया है या मैं खुद.....(2)
ये साल नया है या मैं खुद.....(2)
"अपमान का विष समुद्र में मथा हुआ, चासनी मे लिप्त, रस से गूंथा हुआ; बोले सवार हो शीर्ष पर एकल, जितना ऊँचा हो प्रतीत पागल; उतना ही गर्त म...
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