Saturday, July 21, 2018

“ठहर जाइए”

ठहर जाइए थोडा सा,
अक्सर भागते हुए देखा है,
धड़कनो की धकधकाहत में,
दिल संभालते हुए देखा है,
देखा है फिक्रमंद होते हुए,
और मनमानी अंदाज में गुनगुनाते हुए देखा है,
ठहर जाइए थोडा सा,
अक्सर भागते हुए देखा है।
देखा है पत्थर की भाँति अडिग बनते हुए
कभी मिट्टी का कच्चा घड़ा बनते देखा है
चमकीले सरोवरों के पानी में,
पैर छलछालते हुए देखा है,
लीजिये सांस चैन की,
और जी लीजिये पल सुकून के,
ठहर जाइए थोडा सा,
अक्सर भागते हुए देखा है।"



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